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Chapter 4 जयशंकर प्रशाद (आत्मकथा)

Class 10th हिन्दी क्षितिज भाग -2


कक्षा 10 की एनसीईआरटी पुस्तक "क्षितिज भाग 2" जयशंकर प्रसाद (आत्मकथा)

कक्षा 10 की एनसीईआरटी हिंदी पाठ्यपुस्तक "क्षितिज भाग 2" में शामिल "आत्मकथा" जयशंकर प्रसाद जी की एक महत्वपूर्ण रचना है। जयशंकर प्रसाद हिंदी साहित्य के छायावादी युग के प्रमुख स्तंभों में से एक थे। उनकी रचनाओं में गहन भावुकता, रहस्यात्मकता, और भारतीय संस्कृति का गहरा प्रभाव देखने को मिलता है.

आत्मकथा:

"आत्मकथा" एक कवितात्मक रचना है, जिसमें कवि ने अपने जीवन के अनुभवों, संघर्षों, और भावनाओं का आत्मविश्लेषण किया है। इस रचना में प्रसाद जी ने जीवन के उतार-चढ़ाव, संघर्ष, और अपनी आंतरिक भावनाओं को अत्यंत मार्मिक और प्रभावशाली ढंग से व्यक्त किया है। इस कविता में वे आत्मचिंतन करते हुए अपने जीवन की कठिनाइयों, समाज के प्रति अपने दृष्टिकोण, और अपने जीवन के लक्ष्य का वर्णन करते हैं.

मुख्य विषय:

"आत्मकथा" में प्रसाद जी ने अपने व्यक्तिगत जीवन के अनुभवों को अभिव्यक्त किया है। उन्होंने अपने जीवन के कठिन समय और संघर्षों का उल्लेख करते हुए यह दर्शाया है कि कैसे इन परिस्थितियों ने उनके व्यक्तित्व और साहित्यिक दृष्टिकोण को आकार दिया। कविता में मानवीय संवेदनाएँ, कर्तव्य, और जीवन की सच्चाईयों को स्वीकार करने की प्रेरणा मिलती है.

महत्त्व:

"आत्मकथा" जयशंकर प्रसाद जी की गहरी संवेदनाओं और विचारों को उजागर करती है। यह रचना छात्रों को आत्मचिंतन, आत्मविश्लेषण, और जीवन के प्रति एक गहरे दृष्टिकोण से परिचित कराती है। इसके माध्यम से वे यह समझ सकते हैं कि जीवन में संघर्षों और चुनौतियों का सामना कैसे किया जाए और उन्हें अपने व्यक्तित्व और सृजनशीलता के विकास के अवसरों में कैसे बदला जाए। जयशंकर प्रसाद जी की यह रचना साहित्यिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह छायावाद के भीतर व्यक्तिगत भावनाओं और अनुभवों को काव्य के रूप में प्रस्तुत करने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है.